Thursday, March 19, 2009

महिला दिवस विशेष

महिला दिवस पर कुछ महिलाओं का Lions क्लब ने सम्मान किया। मेरा भी सम्मान किया गया। उस अवसर पर मैंने एक कविता कही वह प्रस्तुत है।
नन्ही बालिका
उगा सूरज, मुर्गे ने दी बांग घर द्वारे।
पत्तियों की सरसराहट, उड़ चली एक चिडिया पंख पसारे।
एक अलमस्त सुबह, पर घर में गूँज रही थी सिसकी।
Kaaran - जन्मी थी उस दिन एक प्यारी सी बच्ची।
जब खोली आँख उसने, इस उजले जग में,
न पाया स्वयं को , किसी के आँचल में।
जोर से रोई वह पैरों को झटक कर,
न लिया उसे किसी ने गोद में, हाथ फैले रहे पर.
पिता कोसते रहे नसीब को, माँ रोती रही,
दूध की प्रतीक्षा में लड़की अकेली पड़ी रही।
पड़ी थी अकेली खटिया पर वह नन्ही सी जान .
क्योंकि वह थी एक लड़की क्या यही है नारी की शान
ये सब क्यों मैं पूछती हूँ सब से
क्या गलती हुई उस दुधमुही बच्ची से
उसके भी कुछ सपने हैं , हैं उसकी आशाएं
फिर क्यों उसके भाग्य मैं है ये प्रतादनाये
ऐसा व्यहार जिसका नहीं कोई भी हकदार
जब गरीब का लड़का भी पाता है बहुत प्यार दुलार
क्यों होता है लड़की के साथ ये अत्याचार
क्यों कुचला जाता हें उसका अस्तित्व बार बार
हम सभी को देना है इस प्रश्न का जवाब
नन्ही लड़की की मदद करना है , करने को पूरे उसके ख्वाब
खोलने हें उसके पंख , उडाना हें उसे गगन में
पहुचना हें उसे आगे , आकाश की असीम उन्चायिओं में