Friday, February 26, 2016

Why communication only through whatsapp and facebook?

सालगिरह हो या जन्मदिन,
पूजा हो या कोई आमंत्रण
भेज कर दो लाईने, स्माईली के साथ,
कर्तव्य की करली इतिश्री हमने,
क्या नहीं कर सकते थे दो बातें,
उनसे जो हैं हमारे अपने।
पत्र लिखना भूल गए,
दो सही लाईने लिखने से घबराते हम
सरकारी पत्रों में भी
You को U और why को Y बनाते हम।
डर लगता है, होने वाले अंजाम से
क्या हाल होगा इस बदले हुये माहौल से
कहीं ऐसा तो नहीं,
हम कुछ भूलते जा रहे हैं?
मोबाइल पर उंगली चलाते हुये,
अपनी आवाज खोते जा रहे हैं।
न होने दो इसे आज तुम
बातों से भी संपर्क बनाओ तुम,
लिखना अपनी जगह, पर बातों की बयां अलग,
वाणी की मधुरता फैलाओ तुम।