सोचा था पाएंगे एयरपोर्ट पर
कुछ पल सकून के
पर सहयात्री ऐसे निकलेंगे
सोचा भी नहीं था सपने में।
बैठने आये हवाई जहाज में
पर करतूते सिटी बस वाली।
धक्का मुक्की, लाइन तोड़ना,
और हरकते असभ्यों वाली।।
हर जगह जल्दी है,
चढ़ना भी पहले है।
उतरने की भी हड़बड़ाहट,
हवाई जहाज रुकने से पहले
खड़े होकर सामान निकालना है।
एयरहोस्टेस चिल्लाते रहे,
पर मोबाइल पर बातें करना है।
सीट बेल्ट सिग्नल रहने पर भी
उठ कर टॉयलेट जाना है।
दूसरे की सीट पर अधिकार से बैठना है,
जोर जोर से दस सीट पीछे
परिवार वाले से बात करना है।
पूरा व्यापार वहीं करना है,
बच्चों को तो क्या कहें,
जब मां बाप ही निराले हो
सामान ऊपर से निकालने की क्या जल्दी,
जब बेल्ट पर बाकी सामान आना हो।
कब सीखेंगे हम, सभ्यता का पाठ
क्यों नहीं होता दूसरों की असुविधा का आभास
वह दिन दूर नहीं जब हवाई जहाज में मूंगफली खाई जाएगी
और छिलके बड़ी आसानी से सीट के नीचे फेके जाएंगे।
कुछ पल सकून के
पर सहयात्री ऐसे निकलेंगे
सोचा भी नहीं था सपने में।
बैठने आये हवाई जहाज में
पर करतूते सिटी बस वाली।
धक्का मुक्की, लाइन तोड़ना,
और हरकते असभ्यों वाली।।
हर जगह जल्दी है,
चढ़ना भी पहले है।
उतरने की भी हड़बड़ाहट,
हवाई जहाज रुकने से पहले
खड़े होकर सामान निकालना है।
एयरहोस्टेस चिल्लाते रहे,
पर मोबाइल पर बातें करना है।
सीट बेल्ट सिग्नल रहने पर भी
उठ कर टॉयलेट जाना है।
दूसरे की सीट पर अधिकार से बैठना है,
जोर जोर से दस सीट पीछे
परिवार वाले से बात करना है।
पूरा व्यापार वहीं करना है,
बच्चों को तो क्या कहें,
जब मां बाप ही निराले हो
सामान ऊपर से निकालने की क्या जल्दी,
जब बेल्ट पर बाकी सामान आना हो।
कब सीखेंगे हम, सभ्यता का पाठ
क्यों नहीं होता दूसरों की असुविधा का आभास
वह दिन दूर नहीं जब हवाई जहाज में मूंगफली खाई जाएगी
और छिलके बड़ी आसानी से सीट के नीचे फेके जाएंगे।