आज Mothers डे है। विदेशों में इस दिन को मनाने का बहुत चलन है। सब इस दिन माँ को मिल सके इसलिए रविवार को ही मनाया जाता है। मायें बच्चों का कितना ख्याल रखती हें। :)
एक छोटी सी कविता के द्वारा कुछ भाव व्यक्त किए हें। आशा है, पसंद आयेंगे।
अब जब मैं माँ हूँ
माँ अब मुझे समझता है, जब मैं एक माँ हूँ
वह प्यार, वह देखभाल, वे आशाएं, वे प्रार्थनाए,
वे सारी बाते जो तुमने मेरे लिए की ,
मैं अब समझ सकती हूँ
जब मैं वे सब मेरे बच्चे के लिए करती हूँ।
अब सब बदला बदला सा है।
मैं तुम हूँ और अब मेरा बेटा है।
जैसे तुम मेरे लिए परेशान रहती थी
वैसे में आज उसके लिए रहती हूँ
पर उसे जैसे कुछ पता ही नहीं,
जैसे मुझे नहीं पता था उस समय
मैं अब समझ सकती हूँ, क्योंकि मैं एक माँ हूँ अब।
तुम्हे दुःख, तुम्हारी परेशानियाँ,
तुम्हारी चिंताए, मेरी शैतानियाँ
कितना मैंने तुम्हे परेशान किया
वह सब समझ सकती हूँ
क्योंकि मैं अब एक माँ हूँ।
मैंने वही देखा जो तुमने नहीं किया
मैंने वही देखा जो तुमने नहीं दिया
जो किया उसकी ओर ध्यान नहीं दिया
लेकिन अब मैं सब समझ सकती हूँ
क्योंकि अब मैं भी एक माँ हूँ माँ.
4 comments:
Very nice poem...
really nice...
Wonderful poem!
Very well written. Reminded me of my mum. I'm sure this is what I'll say to her if I become a mother.
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