Wednesday, November 9, 2016

दिवाली 2016

इस वर्ष दिवाली पर कुछ अलग करने का सोचा। वैसे भी मन कुछ उदास था क्योंकि न बेटा हमारे पास था और न ही हम अपने माता पिता के साथ।  सोचा इस बार रोज रंगोली डालूँ और कुछ कविता करूँ। जो प्रयास किया वह यहाँ प्रस्तुत है। तो पेश है - दीपावली 2016। 



घर द्वारे डाली रंगोली,
आई दीपावली, आई दीपावली।
मिल कर सब संगी सहेली,
चलो मनाएँ दीपावली। 
रंगोली के रंगों की दीपावली,,
जगमगाते दीयों की दीपावली,
सब के साथ मिलकर कहें,
आई दीपावली, आई दीपावली 
चलते मिक्सर ने करवाया,
सबेरे सबेरे शक्कर स्नान
उसके बाद बनाया मैंने,
दीपावली का पहला पकवान।
चलो मिलकर सब  दिवाली मनाएँ,
चाहे गरीब हो या धनवान। 

चॉकलेट के बर्फी की दिवाली,
रंगीन रंगोली की दिवाली,
जगमग मिट्टी के दीयों की दिवाली
रहें खुश, हर दिन हो दिवाली। 

नरक चौदस है, आज करो ध्यान
जागो और सूरज के उगाने से पहले करो स्नान
जो आज देर से नहाया होगा
शर्तिया नरक की एडवांस बूकिंग कराया होगा,
चकली की आज मेजबानी जोरदार,
रंगोली के चक्र भी हैं जानदार
नरक चौदस की शुभकामनायें 

पुराण पोली वर झाली
आज साजरी आमची दिवाली
द्वार डाली नई रंगोली
बनाई घर में पुराण पोली
सब मिलकर संगी सहेली
आज मनाएंगे दिवाली 

दिवाली का पंचवा दिन
आज मानेगी भय्या दूज
बहने लगाएँगी टीका,
देंगी कई आशीष।
छोटी बहनें जाएंगी लिपट,
पाने को ढेर सारी सारी गिफ्ट
रहें सभी खुशहाल सभी,
प्यार मोहब्बत से जहां रहें वहीं।
आएंगी खुशियाँ लेकर
दिवाली हर साल, सालों साल 




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