इस वर्ष दिवाली पर कुछ अलग करने का सोचा। वैसे भी मन कुछ उदास था क्योंकि न बेटा हमारे पास था और न ही हम अपने माता पिता के साथ। सोचा इस बार रोज रंगोली डालूँ और कुछ कविता करूँ। जो प्रयास किया वह यहाँ प्रस्तुत है। तो पेश है - दीपावली 2016।
घर द्वारे डाली रंगोली, आई दीपावली, आई दीपावली। मिल कर सब संगी सहेली, चलो मनाएँ दीपावली। |
रंगोली के रंगों की दीपावली,, जगमगाते दीयों की दीपावली, सब के साथ मिलकर कहें, आई दीपावली, आई दीपावली |
चलते मिक्सर ने करवाया, सबेरे सबेरे शक्कर स्नान उसके बाद बनाया मैंने, दीपावली का पहला पकवान। चलो मिलकर सब दिवाली मनाएँ, चाहे गरीब हो या धनवान। |
चॉकलेट के बर्फी की दिवाली, रंगीन रंगोली की दिवाली, जगमग मिट्टी के दीयों की दिवाली रहें खुश, हर दिन हो दिवाली। |
पुराण पोली वर झाली आज साजरी आमची दिवाली द्वार डाली नई रंगोली बनाई घर में पुराण पोली सब मिलकर संगी सहेली आज मनाएंगे दिवाली |
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